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\v 24 तव बे ढिगई आइके बाके आइसे कहत जगाई,” गुरु,गुरु, हम डूबन लगे ।” बा उठके आँधी और पानीकी लहर के डँटी, और बा रुकगाओ औ सब शान्त हुइगओ । \v 25 बा बिनसे कही,” तुमार विश्वास कहागाओ ?” बे डराए गए, ताव आचम्मो मानी और एक ठीन कहनलगे,” जा कौन हैए ? जौन आँधी और पानीके आज्ञा देत हैए, ताव बे जक आज्ञा मानत हैए ?”