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\v 46 तए मिर मुणमे तेल ना लगा दाओ, पर जा मिर टाङ्गमे अत्तर घिसी हए । \v 47 जहेमरे मै तुमसे काहत हओ, जाके पाप, जो बेढब रहए, क्षमा हुइ गए, कहेकी जा स्त्री जाधा प्रेम दिखाई । पर जौनके थोरी क्षमा करतहए, बा थोरी प्रेम कतहए।”