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\v 46 मिर कही बात ना करत हओ तव कहे मोके "प्रभु, प्रभु" कहत हओ ? \v 47 जौन मिरठीन आत हए, मिर वचन सुनतहए और बाहे जैसो करत हए, बा कैसो आदमी हए, मै तुमके बतामंगो । \v 48 बा आदमी घर बनान् बालो आदमी जैसो हैए, जौन गहिरो खोदके चट्टान उपर जग डारी ।जल प्रलय भओ, तव जब बाहण आओ, और बा घरमे ठुक गओ, तव बा घरके हला ना पाई, काहेकी बा पक्को बनो रहए।