\v 43 कोई अच्छो रुखा खराब फरा ना फरातहए, न त खराब रुखा अच्छो फरातहए , " \v 44 हरेक रुखा बाके फरासे चिनतहए। कहेकी काँटोके झाँगसे कोई गुलर ना बटोरतहए, नत झाडीसे अंगूर बटोरत हए।