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\v 35 पर अपने दुश्मनके प्रेम करओ,और बिनके भलाई करओ। फिर पान आसरा ना करके ऋण देओ, और तुमर इनाम बणो हुइहै, और तुम सर्बोच्चके सन्तान हुईहओ, काहेकी बा घमन्डी और स्वार्थी उपर कृपालु हाए । \v 36 तुमर पिता जैसो कृपालु हए तुम फिर कृपालु होबओ।