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\v 6 दुसरो शबाथमे सभघरभित्र घुसके बा शिक्षा दैई । बा हुवँ एक जनी आदमी रहए बाको दाहिना हात सुखोरहाए । \v 7 बा शबाथमे अच्छो करनो काम करैगो कहिसे बाके दोष लगन नियतसे शास्त्री और फरिसी बाके चुबकेसे सुनत रहए । \v 8 पर बा बिनकी नियत पाता पाएगव रहाए, और सुखो हात भव आदमीसे कही, “हीन आ और ठाण ।” तव बा उठो, और ठाड़ो ।