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\v 4 मसक्के पिछु, बा सिमोनसे कहि, “गहिरो घेन लैजाएके मच्छी फसन तँहीअपनो जार डार ।” \v 5 पर सिमोन कहि, 'गुरुजी, हम रात भार मेहेनत करके फिर कछु नापए । तहु फीर तुमर कहेसे मए जार डारत हओ।” \v 6 तव जब अइसो करी, तव एक ढेरी मच्छी फसइँ, और बिनको जार फटन लागो । \v 7 बे दुस्री नैयामे भए मछुहारेनके आएके सहेता करन इशारा करी । और आएके बे दोने नैया मच्छीसे भरी, हिनातकि नैया डुबन् लगी । |