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\v 31 \v 32 \v 33 ३१नहे बेरा कोई-कोई फरिसी आएके बासे कहि,बहुनासे निकरके जाऔ,कहेकी हेरोद तुमके मारन चहात हए ।३२ बा बिनसे कहि, “जाएके बा सेरा से कहा ,देख आज और कल मए भुतके भजाङ्गो और अच्छो करन काम करङ्गो,तव तिस्रो दिन मेरो काम पुरी हुइहए ।३३ तव फिर आज कल और परसौ फिर मए नेगत रहौ,काहेकी येरुशलेम बाहिर कोई अगमबक्ताको मृत्यु हुई ना पए हए ।

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\v 34 \v 35 ।३४ यरुशलेम ए यरुशलेम तए अगमबक्ताके मारत हए,और तिर ठिन पठाए भएके उपर पत्थर बर्सात हए!जैसे मुर्गिया अपन बच्चनके पखमा तरे लुकात हए,उइसिए मए कित्तो चोटी तिर बालकके लेन इच्छा करो,पर तए ना मानो ।३५ देख,तेरो घर उजणो हए । मए तोसे कहत हौ,जब सम्म तए, धन्य होन प्रमप्रभुको नाउँमे आनबारो नाए कैहए , तब सम्म मोके न देखैगे ।

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\c 14 \v 1 \v 2 \v 3 एक शबाथ-बा फरिसी कोई जनि शासकको घरसे खान गओ ।फरिसी बाकी चेवामा बैठेरहए ।२ जलग्रह रोगसे पिडित भव एक जनि आदमी बक सामने रहए ।३ येशु व्यवस्थापक पण्डितसे और फरिसीसे पुच्छी “शबाथमे अच्छो करन उचित हए कि नैया ?

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४पर बे चुप लागेरहए,ओर बा बहे रोगिके शरिरमे हात धरके अच्छो करि और बाके जान दै ।५तव बा बिनसे कहि,तुमर मैसे अपन बरधा या गधा सबाथ-दिनमे कुईयामे गिरगओ कहेसे बाके ना निकारत हौ ? ६ तव बे जा बातकी जवाफ नदैपाई ।

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अध्धाय १४