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\v 27 "अब मिर प्राण व्याकुल हुइगव हए, और मए का कहौ ? 'हे पिता, मोके जा घडीसे बचाएले ? पर जहे कारणसे ना मए जा घडीतक अएपुगो हौ । " \v 28 हे पिता, तुमर नाउँको महिमा करओ ।” तव स्वर्गसे अइसो एक अवाज अओ, “मए बा महिमा करो हौ, और फिर करंगो ।” \v 29 हुवाँ ठढी भै भिड जा सुनके कही, “जा बादल गरजो हए !” और कहिँ, “स्वर्गदुत बासे बोलिहए !”