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\v 25 \v 26 \v 27 25 "जा बात तुमर संग रहत मए तुमसे कहो हौं| " 26 पर सल्लाहकार, अर्थात् पवित्र आत्मा, जौनके पिता मिर नाउँमे पठए हए, बो तुमके सब बात सिखए हए, और मए तुमसे कहो बात तुमके याद दिलए हए| 27 शान्ति मए तुमरे संग छोणे हौ| मए अपन शान्ति तुमके देहौ| संसार दै जैसो मए तुमके नाए देहौ| तुम्रो ह्रदय व्याकुल नाए होए और घबणयबौ नाए|