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\v 9 विहको मुखिया बा पानी चाखी, जोकि अब दाखमधमे बदल गओ रहए । जा कहाँ से आओ हए सो बाके पता ना रहए, पर पानी भरन बारो चाकरन के पता रहए । तव विहाको मुखिया दुलहाके बुलाएके कही, \v 10 "सब आदमी अग्गु अच्छो दाखमध देतहँए और आदमीके बहुत पिलेतहए पिच्छु कमसल दाखमध धरदेत हँए, तुम ता अच्छो दाखमध ह्बाए तक धरे हऔ ।”