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\v 5 \v 6 \v 7 5 "दाखको बोट महि हौ, तुम हाँगा हौ| अगर कोइ मोए मे रहए और, मए बोमे रहौ तव बो बहुत फरा फराए हए, कहेकी मोसे अलग रहिके तुम कुछ करनए पैहौ| " 6 कोइ आदमी मोए मे नए रहए तव, बो हाँगा कटके बाहिर मिलजए हए, और बो सुकजए हए| उइसे हाँगा आदमी बटोरत हए, और आगीमे डारदेत हए, और बे जलिजत हए| 7 तुम मेरेमे रहौ तव, और मिर बात तुमरमे रहए तव तुम जो इच्छा लागत हए सो मागौ, और तुमरे ताहिँ करो जाए हए|