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\v 26 तव बे बोसे कहिँ, “बा तोके का करी? बा तिर आँखी कैसे खोलदै?” \v 27 बा उनके जबाफ दै, “मए तुमरे अग्गु कहीदओ हौ, ताहु तुम सुनेनए। और फिर कहे सुनन चाहत हौ? तुम फिर बक चेला हुबैया हौ कि का?”