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\v 37 \v 38 37 काहेकी 'एक जनै छरैगो, और दुसरो कट्नी करैगो,' कहिके वचन जहेमे सच्चो हुइहए ।
38 मए तुमके हुँवाँ कटनी करन पठाओ, जहाँ तुम मेहेनत नाए करेहओ ।औरे आदमी मेहेनत करिहए, और बिनको मेहेनत को फल तुम पाए हौ ।''