thr_jhn_text_reg/07/47.txt

1 line
395 B
Plaintext

\v 47 फरिसी बिनसे कहन लागे, “का तुम फिर बहेकगए, ? \v 48 का धर्मगुरु औ फरिसी मैसे कोई बाके उपर बिश्‍वास करी हँए ? \v 49 पर जा भिड, जौन व्यवस्था ना जानत, बा श्रापित हए ।”