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\v 25 यरुसलेमके कुइ कुइ आदमी कही, “का जा बहेत ना हए्, जौनके तुम मारन ढुडत रहौ ? \v 26 देखौ तव जा त खुल्लम खुल्ला बोल रहोहए, पर बे बासे कुछ्ना कहत हँए ! का जा नेहत्व ख्रीष्ट हए करके धर्मगुरु पता ना पाई ? \v 27 पर हम जनत हँए, जा आदमी कहाँ से अओ हए । पर जब ख्रीष्ट आबएगो बा काहँ से आबएगो कोइ फिर नाजानङ्गे ।”