thr_jhn_text_reg/05/45.txt

2 lines
722 B
Plaintext

\v 45 "जा मत समझिओ कि मए पिताके अग्गु तुमके दोष
लगएहौ । तुमके दोष लगान बारो त मोसा हए, जौनमे तुम अपन आशा धरेहौ ।" \v 46 कहेकी तुम मोशाके विश्‍वास करते, तव मोहूके तुम विश्‍वास करते, काहेकी बा मिर बारेमे लिखिरहए । \v 47 पर तुम बाकी लिखि बातमे विश्‍वास ना करे तव, मिर बातमे कैसे विश्‍वास करेहौ ?”