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\v 33 "तुम यूहन्ना ठिन पुछ्न पठाओ, और बा सत्य कि गवाही
दैहए् । " \v 34 मए ग्रहण करो गवाही आदमीक ना हए, पर तुमर उध्दार होबए करके मए जा बात कहोहौ । \v 35 यूहन्‍ना पजरत और चमक्त दियाँ रहए, और तुम बक उजियारेमे थोडीदेर आनन्द मननके राजी भए ।