diff --git a/07/21.txt b/07/21.txt index 0731cb7..4d104b2 100644 --- a/07/21.txt +++ b/07/21.txt @@ -1 +1 @@ -\v 21 येशू जबाफ दैके बिनसे कही, “एक काम मए करो, और तुम सब जमए अचम्मो मानतहौ । \v 22 मोशा तुमके खतनाको रिति दैहए् {होन त बा मोशाको तरपसे त नाए, बल्कि पिता पुर्खासे हए }, और फिर शबाथ दिनमे तुम आदमी खतना करत हौ । \ No newline at end of file +\v 21 येशू जबाफ दैके बिनसे कही, “एक काम मए करो, और तुम सब जमए अचम्मो मानत हौ । \v 22 मोशा तुमके खतनाको रिति दैहए् { होन त बा मोशाको तरपसे त नाए, बल्कि पिता पुर्खासे हए }, और फिर शबाथ दिनमे तुम आदमी खतना करत हौ । \ No newline at end of file diff --git a/07/23.txt b/07/23.txt index 01fb658..b47180b 100644 --- a/07/23.txt +++ b/07/23.txt @@ -1 +1 @@ -\v 23 मोशाको व्यवस्था भङग् नए हो बाए करके बल्कि कोइ आदमी शबाथ दिनमे खतना करेहए तव, मए एक आदमीक शबाथ-दिनमे पुरो अच्छो करीदौ, करके का तुमसे मोसे दिक्कत् हौ? \v 24 मुहू देखके नाए, बल्कि ठिक किसिमसे इन्साफ कर ।” \ No newline at end of file +\v 23 मोशाको व्यवस्था भङग् नए हो बाए करके बल्कि कोइ आदमी शबाथ दिनमे खतना करेहए तव, मए एक आदमीक शबाथ-दिनमे पुरो अच्छो करीदौ, करके का तुमसे मोसे दिक्कत् हौ ? \v 24 मुहू देखके नाए, बल्कि ठिक किसिमसे इन्साफ कर ।” \ No newline at end of file diff --git a/07/25.txt b/07/25.txt index ebcd2e2..ae15ec1 100644 --- a/07/25.txt +++ b/07/25.txt @@ -1 +1 @@ -\v 25 यरुसलेमके कुइ कुइ आदमी कही, “का जा बहेत नाए हए्, जौनके तुम मारन ढुडत रहौ? \v 26 देखौ तव जा त खुल्लम खुल्ला बोल रहोहए, पर बे बासे कुछ्नाए कहत हँए! का जा नेहत्व ख्रीष्ट हए करके धर्मगुरु नेहत्व पता पाई? \v 27 पर हम जनत हँए, जा आदमी कहाँ से अओ हए । पर जब ख्रीष्ट दिखँए हए, बा कहाँ हए कोईके पता नाए हुइहए ।” \ No newline at end of file +\v 25 यरुसलेमके कुइ कुइ आदमी कही, “का जा बहेत नाए हए्, जौनके तुम मारन ढुडत रहौ ? \v 26 देखौ तव जा त खुल्लम खुल्ला बोल रहोहए, पर बे बासे कुछ्नाए कहत हँए! का जा नेहत्व ख्रीष्ट हए करके धर्मगुरु नेहत्व पता पाई ? \v 27 पर हम जनत हँए, जा आदमी कहाँ से अओ हए । पर जब ख्रीष्ट दिखँए हए, बा कहाँ हए कोईके पता नाए हुइहए ।” \ No newline at end of file diff --git a/07/30.txt b/07/30.txt index 5b536e1..aebb7f2 100644 --- a/07/30.txt +++ b/07/30.txt @@ -1 +1 @@ -\v 30 बहेमारे बे बाके पकडन ढुड्त रहए, पर कोई बाके उपर हात नाए डारी, काहेकी बाको बेरा हबाए नाए अओ रहए । \v 31 पर भिडके बहुत आदमी बाके उपर बिश्‍वास करी । बे कही, “जब ख्रीष्ट अए हए, तव का जे करे भए चिन्हसे बड़ो चिन्ह बा कर पाएहए?” \v 32 भिड बाके बारेमे चर्चा कर्त फरिसी सुनी । तव मुखिया पुजाहारी और फरिसी बाके पकडन् मन्दिरके पहरेदारके पठाइँ । \ No newline at end of file +\v 30 बहेमारे बे बाके पकडन ढुड्त रहए, पर कोई बाके उपर हात नाए डारी, काहेकी बाको बेरा हबाए नाए अओ रहए । \v 31 पर भिडके बहुत आदमी बाके उपर बिश्‍वास करी । बे कही, “जब ख्रीष्ट अए हए, तव का जे करे भए चिन्हसे बड़ो चिन्ह बा कर पाएहए ?” \v 32 भिड बाके बारेमे चर्चा कर्त फरिसी सुनी । तव मुखिया पुजाहारी और फरिसी बाके पकडन् मन्दिरके पहरेदारके पठाइँ । \ No newline at end of file