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Rana_Tharu 2023-03-06 21:46:52 +05:45
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05/28.txt Normal file
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\v 28 \v 29 28 जामे अचम्मो मत मानओ, कहेकी बेरा आईगव हए, तव गड्डामे होन बारे सब बाको आबाज सुनंगे
29 और बाहिर निकार अए हँए असल काम करन बारे जीवनके तही जिन्दा हुइहँए, और कुक्रम करन बारे दण्डके तही जिन्दा हुइहँए

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05/30.txt Normal file
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\v 30 \v 31 \v 32 30 "मए अपनाए कुछु नाए करपैहौ। जैसी मए सुनत हौ, उइसी न्याय मए करंगो, और मिर न्याय ठीक ठहीरैगो, कहेकी मए अपन इच्छा नाए ढुणत हौ, मोके पठान बारेकि इच्छा ढुड्त हौ ।"
31 "यदी मए अपन बारेमे गवाही देहौ तव मिर गवाही सत्य नाए हुइहए ।"
32 मिर बारेमे गवाही देन बारो दुसरो हँए और मए जान्तहौ, कि मेरे बारेमे बा जो गवाही देतहँए, बा गवाही सत्य ठहीरैगो।

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05/33.txt Normal file
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\v 33 \v 34 \v 35 33 "तुम यूहन्ना ठिन पुछ्न पठाओ, और बा सत्य कि गवाही दैहए्।"
34 मए ग्रहण करो गवाही आदमीक नैयाँ, पर तुमर उध्दार होबए करके मए जा बात कहोहौ ।
35 यूहन्ना पज्रत और चमक्त दियाँ रहए, और तुम बक उजियारेमे थोडीदेर आनन्द मननके राजी भए ।