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37 काहेकी 'एक जनै छरैगो, और दुसरो कट्नी करैगो,' कहिके वचन जहेमे सच्चो हुइहए ।
38 मए तुमके हुँवाँ कटनी करन पठाओ, जहाँ तुम मेहेनत नाए करेहओ ।औरे आदमी मेहेनत करिहए, और बिनको मेहेनत को फल तुम पाए हौ ।''
\v 37 \v 38 37 काहेकी 'एक जनै छरैगो, और दुसरो कट्नी करैगो,' कहिके वचन जहेमे सच्चो हुइहए ।
38 मए तुमके हुँवाँ कटनी करन पठाओ, जहाँ तुम मेहेनत नाए करेहओ ।औरे आदमी मेहेनत करिहए, और बिनको मेहेनत को फल तुम पाए हौ ।''

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04/39.txt Normal file
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\v 40 \v 39 'मए जो करो बा मोके सबै कहिदै'' कहिके बा बैयर् कि गवाही के कारण बा नगर के सामरी मैसे गजब बाके उपर विश्वाश करीं ।
40 जहेमारे जब् सामरी बाके ठिंन आए, तओ बे बाके बिन्हिक संग बैठन बिन्ती करीं, और बा दुई दिन हुवाँ बैठो ।

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04/41.txt Normal file
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\v 41 \v 42 41 और बाके वचन के कारण और गजब बाके उपर विस्वाश करी ।
42 बा बैयर से बे कहीं, ''अब तुमर कहि बात से हम विश्वाश नाए करे, पर हम अपनए सुननके कारणसे गौसए बा संसारको मुक्तिदाता हए कहिके हम जाने है ।