Tue Mar 07 2023 21:18:48 GMT+0545 (Nepal Time)
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\v 13 \v 14 \v 15 13 अग्गु अन्धरा रहय बहे आदमीक बे फरिसीन ठिन ल्याइँ ।
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14 जौन दिन येशू मट्टीक कि गमजके बक आँखी लगाई रहए बा दिन शबाथ-दिन रहए ।
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15 फरिसी बासे पुछी, “तए कैसे देखन बारो भव?” बा उन्से कही, “बा मिर आँखीमे मट्टी गमजके लगए दै, और मए धओ और देखन बारो हुइगव।”
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\v 16 \v 17 \v 18 16 फरिसी मैसे कोई कोई कहिँ, “बा आदमी परमेश्वरसे नए अओ हए, कहेकी बा शबाथदिन पालन नए करत् हए।” तव और कित्नो कहीँ, “कैसे पापी आदमी अईसे चिन्ह कर पए हए?” और उनके बीचमे फाटो होन लागो ।
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17 बे बा अन्धरा से फिर पुछी, “बा तिर आँखी खोलदै, अब बक बारेमे तए का कए हए?” बा जबाफ दै, “बा ता अगमवक्ता हए।”
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18 दृष्टि पानबारोके आदमीके अइयादौवाके लाएकुछ्न तक यहूदी बो अन्धरा रहै और देखन बारो हुइगव करके विश्वास करिनए।
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\v 19 \v 20 \v 21 19 तव बे बोसे पुछी, “का जा तुमर लौडा हए जा का अन्धरा जन्मो रहए करके तुम कहतहौ? तव अब कैसे जा देखन बारो हुइगव?”
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20 बोके अइया-दौवा उन्से कहिँ, “हम जनत हए जा हमर लौणा हए, और अन्धरा जन्मो रहए।
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21 पर अब जा कैसे देखन बारो भव हमके पता नैयाँ, और जक आँखी कैसे खुलीगै बहु फिर हमके पता नैयाँ। जाको उमेर पुगीगव हए, जहेसे पुछौ। अपने बारेमे जा अपनए बुलहए।”
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