diff --git a/08/28.txt b/08/28.txt index a8820a1..5122261 100644 --- a/08/28.txt +++ b/08/28.txt @@ -1 +1 @@ -\v 28 जहेमारे येशू कही, “जब तुम आदमीक पुत्रके उपर उचए हौ, मए बहे हौ करेके तुम पता पैहौ, और मए अपने अधिकारमे कुछ नाए कर हौ, पर पिता सिखई बात मस्कत् हौ करके जानैगे । \v 29 29 मोके पठान बारो मिर संग हए । बा मोके इकल्लो नाए छोडि हए, कहेकी मए सब दिन बाके खुशी करन बारो काम कर्तहौ ।” \v 30 30 बा जा बात कहत् गजब बाके उपर बिश्वास करीँ। \ No newline at end of file +\v 28 जहेमारे येशू कही, “जब तुम आदमीक पुत्रके उपर उचए हौ, मए बहे हौ करेके तुम पता पैहौ, और मए अपने अधिकारमे कुछ नाए कर हौ, पर पिता सिखई बात मस्कत् हौ करके जानैगे । \v 29 मोके पठान बारो मिर संग हए । बा मोके इकल्लो नाए छोडि हए, कहेकी मए सब दिन बाके खुशी करन बारो काम कर्तहौ ।” \v 30 बा जा बात कहत् गजब बाके उपर बिश्वास करीँ। \ No newline at end of file diff --git a/08/31.txt b/08/31.txt index 9c74fac..833f22b 100644 --- a/08/31.txt +++ b/08/31.txt @@ -1,3 +1 @@ -\v 31 31 येशू अपन उपर बिश्वास करन बारे यहूदीनसे कही, “तुम मिर वचनमे रएहौ तव तुम नेहत्व मिर चेला हुइहौ। -\v 32 32 तव तुम सत्य काहए करके सो जानैगे, और सत्य तुमके स्वतन्त्र करेहए।” -\v 33 33 बे बाके जबाफ दै, “हम अब्राहमके सन्तान हँए, और हबाए तक कोईके बन्धानमे पडे नाएहए । 'तुम स्वतन्त्र हुईहौ करके कैसे कहत हौ?” \ No newline at end of file +\v 31 येशू अपन उपर बिश्वास करन बारे यहूदीनसे कही, “तुम मिर वचनमे रएहौ तव तुम नेहत्व मिर चेला हुइहौ। \v 32 तव तुम सत्य काहए करके सो जानैगे, और सत्य तुमके स्वतन्त्र करेहए।” \v 33 बे बाके जबाफ दै, “हम अब्राहमके सन्तान हँए, और हबाए तक कोईके बन्धानमे पडे नाएहए । 'तुम स्वतन्त्र हुईहौ करके कैसे कहत हौ?” \ No newline at end of file diff --git a/08/34.txt b/08/34.txt index d8317a5..3fb929b 100644 --- a/08/34.txt +++ b/08/34.txt @@ -1,3 +1 @@ -\v 34 34 येशू बिनके जबाफ दै, “नेहत्व, मए तुमसे कहत हौ पाप करन बारे सब पापकी कमैया हए । -\v 35 35 कमैया सब दिन घरमे नाए रहात हए, पर पुत्र सब दिन घरमे रहत हए । -\v 36 36 जहेमारे पुत्र तुमके स्वतन्त्र कर हए कहेसे तव तुम नेहत्व स्वतन्त्र हुइहौ । \ No newline at end of file +\v 34 येशू बिनके जबाफ दै, “नेहत्व, मए तुमसे कहत हौ पाप करन बारे सब पापकी कमैया हए । \v 35 कमैया सब दिन घरमे नाए रहात हए, पर पुत्र सब दिन घरमे रहत हए । \v 36 जहेमारे पुत्र तुमके स्वतन्त्र कर हए कहेसे तव तुम नेहत्व स्वतन्त्र हुइहौ । \ No newline at end of file diff --git a/08/37.txt b/08/37.txt index 96beafb..ad80808 100644 --- a/08/37.txt +++ b/08/37.txt @@ -1,2 +1 @@ -\v 37 37 मए जानत हौ, तुम अब्राहामके सन्तान हौ । पर तुम मोके मारन ढुड्त हौ, कहेकी मिर वचन तुमरे ठिन ठाउ ना पात हए । -\v 38 38 जो जो माए मिर पिताके उपस्ठितिमे देखो हौ, बहे मए कहत हौ । तुम फिर जो तुमर पितासे सुनेहौ, बहे करत् हौ ।” \ No newline at end of file +\v 37 मए जानत हौ, तुम अब्राहामके सन्तान हौ । पर तुम मोके मारन ढुड्त हौ, कहेकी मिर वचन तुमरे ठिन ठाउ ना पात हए । \v 38 जो जो माए मिर पिताके उपस्ठितिमे देखो हौ, बहे मए कहत हौ । तुम फिर जो तुमर पितासे सुनेहौ, बहे करत् हौ ।” \ No newline at end of file