From 267c0b03a8148e93ae90f642782de6e265d87127 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Fri, 10 Mar 2023 14:54:58 +0545 Subject: [PATCH] Fri Mar 10 2023 14:54:57 GMT+0545 (Nepal Time) --- 21/15.txt | 1 + 21/17.txt | 1 + 2 files changed, 2 insertions(+) create mode 100644 21/15.txt create mode 100644 21/17.txt diff --git a/21/15.txt b/21/15.txt new file mode 100644 index 0000000..a962c8d --- /dev/null +++ b/21/15.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 15 \v 16 15 जब बे खए डारीँ, तव येशू सिमोन पत्रुससे कहि, “यूहन्नाको लौणा सिमोन, का तुम इन्से जद्धा प्रेम करत् हौ?”बो बोसे कहि, “ज्यु प्रभु, तुम जानत् हौ, मए तुमके प्रेम करत् हौ| बो बोसे कहि, “मिर भेणन् के खबओ|” 16 बो फिरके दुसरे दओ बिनसे कहि, “युहन्नाको लौणा सिमोन, का तुम मोके प्रेम करत् हौ?” बो बोसे कहि, “ज्यु प्रभु, तुम जानत् हौ, मए तुमके प्रेम करत् हौ|” बो बोसे कहि, “मिर भेणाके रेकदेख कर|” \ No newline at end of file diff --git a/21/17.txt b/21/17.txt new file mode 100644 index 0000000..81eef89 --- /dev/null +++ b/21/17.txt @@ -0,0 +1 @@ +\v 17 \v 18 17 "बो बोसे तिस्रो चोटी कहि, “यूहन्नाको लौणा सिमोन, का तुम मोके प्रेम करत् हौ|” पत्रुस दु:खित हुइगव, कहेकी बो तिस्रो चोटी बोसे कहि, ""का तुम मोके प्रेम करत् हौ?” बो बोसे कहि, “प्रभु तुम सब जानत् हौ| मए तुमके प्रेम करत् हौ करके तुमके पत्तए हए|” येशू बोसे कहि, “मिर भेणाके खबओ| " 18 नेहत्व मए तुमसे कहत् हौ, जब तुम जवान रहौ अपन फेटा बाँधत् रहौ, और जहाँ इछ्या लागत हुवाँए जातहौ| तव जब तुम बुढे हुइहौ, तव तुम अपन हात पसरेहौ, और दुसरे तुमर फेटा बाँधदेहए, और तुम जहाँ जान चएहौ हुवाँ जएहौ|” \ No newline at end of file