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\v 28 \v 29 \v 30 28 तव बे येशूके कैयाफाके घरसे महल घेन लैगए| बो समय सुबेरे रहए| छुतबारेनके निस्तार-तेवहरको भोज खान नाए मिल्त हए करके डरके मरे बे महल भितर हुसेनाए| 29 जहेमरे बिनके ठिन बाहिर निकरके पितालस कहिँ, “जा आदमीको विरुध्दमे तुम का अभियोग लगए हौ?” 30 बे उन्से कहिँ, “अगर जा आदमी अपराधी नाए होतो तव हम जाके तुमरे ठिन नाए सुम्पते|”