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\v 1 हे मुर्ख गलाती तुमके कौन मोहनी लगाएके वशमे करलओ ? तुमरी आँखीके ढिंगई येशू ख्रीष्ट क्रूसमे टाँगि बात सफा रुपसे बर्णन करो गओ रहए। \v 2 यित्कए इकल्लो मए तुमसे पुछन चाहत् हौं, तुम पवित्र आत्मा व्यवस्थाके कामसे पाए, कि सुनो भव वचनमे विश्‍वास करके ? \v 3 का तुम यित्तो मुर्ख हौ, कि आत्मामे सुरु करके शरीरकी रिती से अन्त करैगे ?