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\v 3 काहेकी कोइ मुल्य न भव आदमी अपनएके कोइ हौं करके मान्त हए तव बा अपनएके धोखा देत हए। \v 4 हरेक अपनै कामको जाँच करओ, तव केबल बा अपनएके और संग तुलना न करके अपनएके गर्व कर सिक्त हए। \v 5 काहेकी हरेक के अपनो भार अपनाएके उठान पणैगो।