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\v 14 अइसी हम छलसे पच्छु-पच्छु ढकेले भए, धार्मिक- सिदान्तको सब बतास से और आदमीनको सब झनझट, चलाकीऔर फटहासे इतेउते उणाए भए बालक जैसे नाए होमए| \v 15 बरु प्रेमसे सत्य बोलत सब बातमे हम हुवाँतक, अथवा ख्रीष्टतमे बढतयजामए, जो शिर हए| \v 16 बहेसे नाए सारा शरीर सब जोर्नी से जुणो और बधो भव सब भाग ठीक-ठीक काम करन सजिलो होबैगो और प्रेममे बढतैजाओ|