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\c 6 \v 1 लौणा-लौणियाओ, तुम प्रभुमे अपन अइया-दौवाको आज्ञापालन करौं, काहेकी जा उचित हए । \v 2 अपन दौवा और अइयाको इज्जत करओ । (जा प्रतिज्ञा संग पहिली आज्ञा हए), \v 3 कि तुमके भलो होबए, और तुम जा पृथ्बीमे बहुत समय तक बच सकओ ।"