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\v 18 दाखमधसे मतमात्तओ, कारन जा विलासिता हए, पर पवित्र आत्मासे भरिपूर्ण होबौ । \v 19 एक दुसरेसे भजन, गीत और आत्मिक गानमे बोलत और अपनो पूरो हृदयसे प्रभुके ताहिँ गातए और धुन निकारत , \v 20 रोज सब बातके ताहिँ हमर प्रभु येशूको नाउँमे परमेश्‍वर पिताके धन्यवाद चणंबओ \v 21 ख्रीष्टके आदरके तही एक- दुसरेक अधिनमे बैठौ ।