From 266921e521b2bcf7e42bc28bf3bd4546005a0af4 Mon Sep 17 00:00:00 2001 From: Rana_Tharu Date: Tue, 1 Aug 2023 16:48:32 +0800 Subject: [PATCH] Tue Aug 01 2023 16:48:31 GMT+0800 (Australian Western Standard Time) --- 04/31.txt | 2 +- 05/01.txt | 2 +- 05/title.txt | 2 +- manifest.json | 2 +- 4 files changed, 4 insertions(+), 4 deletions(-) diff --git a/04/31.txt b/04/31.txt index a17d35e..c1b568e 100644 --- a/04/31.txt +++ b/04/31.txt @@ -1 +1 @@ -\v 31 सब तरहाके कवाहटपन, क्रोध और दिक्क, हल्ला और बदनामि, सब मेलके हिंसा करन तुम छोण देबओ ।\v 32 जैसे परमेश्‍वर ख्रीष्टमे तुमके क्षमा करी, उइसी एक- दुसरेके क्षमा करके तुम एक दुसरेसे कोमल मनके और दयालु होबौ । \ No newline at end of file +\v 31 सब तरहाके कवाहटपन, क्रोध और दिक्क, हल्ला और बदनामि, सब मेलके हत्या हिंसा करन तुम छोण देबओ । \v 32 जैसे परमेश्‍वर ख्रीष्टमे तुमके क्षमा करी, उइसी एक- दुसरेके क्षमा करके तुम एक दुसरेसे कोमल मनके और दयालु होबौ । \ No newline at end of file diff --git a/05/01.txt b/05/01.txt index f754a61..927caa0 100644 --- a/05/01.txt +++ b/05/01.txt @@ -1 +1 @@ -\c 5 \v 1 जहेमरे तुम प्रिय बालकजैसे परमेश्वरको देखासेखी करन बारे होबौ| \v 2 तुम प्रेममे चलौ, जैसे ख्रीष्ट फिर हमसे प्रेम करी, और परमेश्वरके ताहिँ सुगन्धित भेटी और बलिदान हुइके अपनके हमर ताहिँ अर्पण करी| \ No newline at end of file +\c 5 \v 1 जहेमरे तुम प्रिय बालकजैसे परमेश्‍वरको देखासेखी करन बारे होबौ| \v 2 तुम प्रेममे चलौ, जैसे ख्रीष्ट फिर हमसे प्रेम करी, और परमेश्वरके ताहिँ सुगन्धित भेटी और बलिदान हुइके अपनके हमर ताहिँ अर्पण करी| \ No newline at end of file diff --git a/05/title.txt b/05/title.txt index 8e59f2d..15950e9 100644 --- a/05/title.txt +++ b/05/title.txt @@ -1 +1 @@ -अध्याय ५ \ No newline at end of file +अध्याय 5 \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 3faa506..d56e7ef 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -77,8 +77,8 @@ "04-20", "04-25", "04-28", + "04-31", "05-title", - "05-01", "05-03", "05-05", "05-08",