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\c 4 \v 1 जहेमारे, मए प्रभुके ताहिँ एक कैदी, तुमके आनुग्रहपूर्वक बिन्ती करत हौ, कि जौन बोलावाटमे तुम बुलाए हौ बेहे योग्य की जीवन यापन करौ| \v 2 सारा दिनता, नम्रता और धैर्यसंग एक दुसरेके प्रेममे सहिके, \v 3 शान्तिके बन्धनमे पवित्र आत्माके एकता कायम धरन कोसीस करौ