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\v 18 बैयर तुम, प्रभुके दृष्टिमे सुहानबारो अपन लोगाके अधीनमे बैठओ । \v 19 लोगा तुम, अपन बैयरके प्रेम करओ और बिनके घेन कठोर मतबनओ । \v 20 लौँणा-लौँणिया तुम, प्रत्येक बातमे अपन अइया-दौवाको आज्ञापालन करओ । काहेकी जा बात प्रभुके प्रसन्न बनातहए । \v 21 दौवा तुम, अपन लौँणालौँणियाके दिक्क मतउठओ, नत बे निराश हुइहँए ।