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\v 22 कमैया तुम, प्रत्येक बातमे जा संसारके अपन मालिकनके आँखी अग्गु खुशी बनान इकल्लो नाए, पर नेहत्व ह्रदयसे प्रभुको डरमे रहिके बिनके अधीनमे बैठओ । \v 23 तुम जो कर्तहौ दिलदैके करओ, आदमीनको नैयाँ पर प्रभुको सेवा करे कता, । \v 24 जा जनके कि तुम अपन उत्तरधिकार इनामके रुपमे पबैगे| तुम प्रभुको सेवा कर रहेहौ । \v 25 काहेकी अपनो करो कुकर्मको फल कुकर्मी पबैगो, और जामे पक्षपात नैयाँ ।