thr_col_text_reg/02/18.txt

1 line
887 B
Plaintext

\v 18 अपन शरीरके दु:ख देनबारी बातमे जिद्दी करके स्वर्गदुतके पुजन लगाएके, अपन दर्शनमे अनके, अपन अभिलाषी मनके बिनाकारणको घमण्डसे फुलके कोइ तुमके इनाम गुमानबारो ना बनाबए । \v 19 बा मुणके ना पक्णे रहए।मुणसे लैके जोर्नी और ग्रन्थि हुइके पुरा शरीरमे काम लगन बारे तत्त्व फैलात हए और बिनके एक ठिन धरत हएँ; और शरीर परमेश्वरको दौभव बृध्दिअनुसार बढत् हए ।