\v 25 25 और जब बे पावलके चमडाको रस्सीसे बाँधीं, तव पावल ठिन ठाडो भव कप्तानसे पुछीं, “का रोमी नागरिक और दोषी न ठहिरो आदमीके कोर्रा लगान ठीक हए?” \v 26 26 कप्तान जा सुनके पिच्छु सेनापतिके ठिन आएके अइसे कहि, “तुम का करन डटेहौ? काहेकी जा आदमी ता रोमी नागरिक हए |”