Tue Feb 14 2023 22:17:36 GMT+0545 (Nepal Time)

This commit is contained in:
tsDesktop 2023-02-14 22:17:36 +05:45
parent a91f32d97c
commit ba373d437e
2 changed files with 2 additions and 1 deletions

View File

@ -1 +1 @@
\v 9 \v 10 \v 11 9 कल बे अपन यात्रामे सहेरके जौने आएपुगत्, दुपहरको बाह्र बजेघेन पत्रुस त प्रार्थना करन घरको पणमे चढो | 10 बा भुखानो, और कुछ खानके मन करी, पर औरदुस्रे खानु तयार करत् बेरा बा ध्यानमे-मग्‍न हुइगव | 11 बा स्वर्ग खुलो और हुवाँसे चारौ कोनेमे बधो तन्‍ना जैसो पृथ्बीघेन झर्त देखी | \v 12 12 तव बा तन्‍नामे पृथ्बीके सब किसिमके चारटाँगके जनावर और घिस्टनबारे प्राणी और आकाशके चिरैचुरुंगी रहएँ |
\v 9 कल बे अपन यात्रामे सहेरके जौने आएपुगत्, दुपहरको बाह्र बजेघेन पत्रुस त प्रार्थना करन घरको पणमे चढो | \v 10 बा भुखानो, और कुछ खानके मन करी, पर औरदुस्रे खानु तयार करत् बेरा बा ध्यानमे-मग्‍न हुइगव | \v 11 बा स्वर्ग खुलो और हुवाँसे चारौ कोनेमे बधो तन्‍ना जैसो पृथ्बीघेन झर्त देखी | \v 12 तव बा तन्‍नामे पृथ्बीके सब किसिमके चारटाँगके जनावर और घिस्टनबारे प्राणी और आकाशके चिरैचुरुंगी रहएँ |

1
10/13.txt Normal file
View File

@ -0,0 +1 @@
\v 13 \v 14 \v 15 \v 16 13 तव बा एक आवाज सुनी, “ए पत्रुस उठ, और मारके खा |” 14 तव पत्रुस कहि, “नाए प्रभु, काहेकी मए कबही कछु अपबित्र औ अशुद चीज ना खओ हौँ |” 15 बा आवाज फिर दुस्रो चोटी सुनी, “परमेश्वर जो शुध्द करीहए बाके तुम अपवित्र काहे मन्त हौ | 16 तीन चोटीतक अइसो भव, और तुरन्त बा तन्‍ना स्वर्गघेन लैगओ |