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\v 11 \v 12 11 तिन महिना पिच्छु, हम अलेक्जेन्ड्रीया के जहाज मे चढे | जा जहाज जाडोक महिनामे जहए टापु मे रहए |जहाज के अग्गुक भागमे जुरिया देवताको मुर्ति बनो रहए | 12 सुराकुसाइमे पुगके हम हुवाँ तिन दिन बैठे |
\v 11 तिन महिना पिच्छु, हम अलेक्जेन्ड्रीया के जहाज मे चढे ।जा जहाज जाडोक महिनामे जहए टापु मे रहए ।जहाज के अग्गुक भागमे जुरिया देवताको मुर्ति बनो रहए । \v 12 सुराकुसाइमे पुगके हम हुवाँ तिन दिन बैठे

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\v 13 हुवाँ से हम किनारे-किनारे रेगियनमे आए पुगे । एक दिन पिच्छु दखिन से हवा चली, और दुसरे दिन हम पटिओलिमे आइपुगे । \v 14 हुवाँ हम भैनके मिले, और बे हमके सात दिन तक उनके संग मे रहन के बिन्ति करीँ । असी हम रोम मे आए पुगे । \v 15 हुवाँ से हमर आगमनको खबर सुनके भैया हमके मिलन अप्पियसके बजार और तिन-पाटि कहन बारो ठाउँमे आए रहए । बिनके देखके पावल परमेश्वरमे धन्यवाद चढाई, और हिम्मत पाई ।
\v 13 हुवाँ से हम किनारे-किनारे रेगियनमे आए पुगे । एक दिन पिच्छु दखिन से हवा चली, और दुसरे दिन हम पटिओलिमे आइपुगे । \v 14 हुवाँ हम भैनके मिले, और बे हमके सात दिन तक उनके संग मे रहन के बिन्ति करीँ । असी हम रोम मे आए पुगे । \v 15 हुवाँ से हमर आगमनको खबर सुनके भैया हमके मिलन अप्पियसके बजार और तिन-पाटि कहन बारो ठाउँमे आए रहए । बिनके देखके पावल परमेश्वरमे धन्यवाद चढाई, और हिम्मत पाई ।

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