thr_2ti_text_reg/03/10.txt

1 line
1.1 KiB
Plaintext

\v 10 अब त तुम मिर शिक्षा, मिर बानी, मिरजीवनको लक्ष्य, मिर विश्वास, मिर धैर्य, मिर प्रेम, मिर स्थिरता , सहनशक्ति, \v 11 मिर सतावटके और मिर कष्टनके एन्टिओखियामे, आइकोनियामे और लुस्त्रामे मिर उपर का पणन आओ और कैसे-कैसे सतावट सहो, ताहु फिर बे सबएसे प्रभु मोके बचाई। \v 12 ख्रीष्ट येशूमे भक्तिसाथ जीवन बितानके इच्छा करन बारे आदमी सतावटमे पणत हँए। \v 13 पर दुष्ट आदमी और ठगान बारे और खराब होत जयहँए,बे दुस्रेक दिमाक खराब करहँए और अपन फिर औरेनसे दिमाक खराब करबैहँए ।