thr_2ti_text_reg/02/14.txt

1 line
726 B
Plaintext

\v 14 जा बात बिनके घरीघरि सम्झए देओ, और प्रभुके अग्गु आज्ञा देओ, कि बे शब्दके बारेमे बातचित ना करएँ जौन भलाइ कर्त न, पर केवल सुननबारेके नुक्सान पुगातहए | \v 15 शर्मान ना पणए और सत्यको वचनके ठीकसे प्रयोग करन बारे कामदार जैसे अपना अपनएके परमेश्वरमे ग्रहणयोग्य बानन भरमग्दुर प्रयत्न करओ।