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\v 23 अग्गु जैसो पानी इकल्लो खाए मतकरिओ, पर तुमर पेटके ताहिँ और घरीघरी बिमारीके मारे थोरी-थोरी दाखमध पिलिओ । \v 24 कोइ-कोइ आदमीके पाप त सिधे इन्साफमे पुगतहएँ , पर और कित्तो पाप त पिछु इकल्लो दिखत हएँ । \v 25 अइसी करके असल काम त प्रत्यक्ष हएँ, और जो प्रत्यक्ष नैयाँ, बे फिर गुप्तमे रहेना पएँहएँ ।