thr_1ti_text_reg/01/09.txt

1 line
1.1 KiB
Plaintext

\v 9 हम जा फिर जन्तहँए कि व्यवस्था असल आदमीनके ताहिँ ना हए, पर व्यवस्था भगं कर्नबारेके अनाज्ञाकारिताके ताहिँ भक्तिहीन और पापीनके, अपवित्र और दूषितनके, पितृघातनके ताहिँ, ज्यानमारा नके ताहिँ, \v 10 व्यभिचारीनके ताहिँ, पुरुषगामीनके ताहिँ, अपहरणकारीनके ताहिँ, झुट बोल्नबारेके ताहिँ, झुटी गवाही देनबारेके ताहिँ, और सत्य सिध्दान्तके बिरुध्दमे भए और अइसीयए बातनके ताहिँ हए। \v 11 जा मोके सुम्पो परमधन्य परमेश्‍वर महिमित सुसमाचार जैसो हए ।