thr_1ti_text_reg/01/05.txt

1 line
871 B
Plaintext

\v 5 पर हमर आज्ञाको लक्ष्य प्रेम हए, जो शुध्द ह्रदय, असल विवेक और निष्कपट विश्वाससे आतहए । \v 6 कोइ-कोइ आदमी जे सबसे बराएके बिगरतुकी बातमे अलमलाए रहेहँए । \v 7 बे व्यवस्थाके शिक्षक होनके इच्छा कर्तहँए, पर अपनए काहि बात अथवा अपनए किटान करके कहि बात अपनए बे ना बुझत हएँ । \v 8 हम जनत हएँ कि अगर कोइ उचित रुपसे व्यवस्था पालन करेहए तौ व्यवस्था असल हए ।