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\v 17 काहेकी भैया हो, ह्रदयसे ना हए, पर आँखीके सुध तुमरे संग अल्प समयके ताहिँ बिछोड भएके मारे, उत्कट इच्छासे तुमके आमनेसामने भेट करन उत्सुकतासे हम सल्लहा करे । \v 18 काहेकी हम तुमरे कहाँ आन खोजे रहँए- मए पावल चाहिँ बारम्बार आन चाहे- पर शैतान हमके रोकी । \v 19 हमर प्रभु येशू जब आए हए, बोबेरा बाके सामने हमरो आशा अथबा आनन्द अथबा गर्वको मुकुट तुमहि का ना हए ? \v 20 नेह्त्य हमरो गौरव और आनन्द तुमहि हौ ।