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\v 4 पर भैया औ, तुम अन्धकारमे ना हाै,और बा दिन तुमके चोर जैसो चकित ना परे हए । \v 5 कहेकी तुम सब ज्योतिके सन्तान और दिनके सन्तान हौ । हम रातके और अन्धकारके सन्तान ना हए । \v 6 जहेमारे और कता हम ना सोमए, पर जागे बैठए, और सचेत होमए । \v 7 काहेकी सोनबारे रातमे सोतहँए, और दारु पिके नशाहोनबारे रातए मे नशाहोतहँए ।