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\v 13 प्रभुके ताँही आदमीके हरेक शासनके अधीनमे बैठओ, चहु बा सर्वोच्च राजाको होबए, \v 14 औ हाकिमको होबए, जौ खराब काम करनबारेनके दण्ड देन और अच्छो काम करनबारेनके प्रशंसा करन बासे खटाए भए होथँए । \v 15 काहेकी परमेश्‍वरकी इच्छा जहे हए, कि अच्छो करके हि तुमके मुरख आदमीनको अज्ञानताके चुप करान पणत हए । \v 16 स्वतन्त्र आदमी कता जीवन बितओ स्वतन्त्रके खराब काम करन बहाना मतबनाओ, पर परमेश्‍वरके दास कता हुइके चलओ । \v 17 सब आदमीनके आदर करओ ।भैयाबन्धुनके प्रेम करओ । परमेश्‍वरसे डरओ । राजाको आदर करओ ।