Fri Aug 04 2023 08:11:37 GMT+0545 (Nepal Time)
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3489acf101
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\v 15 15 पर तुम मैसे कोइ फिर हत्यारा,अथवा चोर,अथवा खराबी करनबारे, अथवा दुसरेके काममे हात डारनबारे कता दु:ख मतभोगओ| \v 16 16 पर कोइ ख्रीष्टियान होनके कारण दु:ख भोगत् हए कहेसे बा शरम ना मानए, पर बहे नाउँमे बा परमेश्वरके महिमा देबए|
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\v 15 पर तुम मैसे कोइ फिर हत्यारा,अथवा चोर,अथवा खराबी करनबारे, अथवा दुसरेके काममे हात डारनबारे कता दु:ख मतभोगओ | \v 16 पर कोइ ख्रीष्टियान होनके कारण दु:ख भोगत् हए कहेसे बा शरम ना मानए, पर बहे नाउँमे बा परमेश्वरके महिमा देबए |
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\v 17 17 काहेकी न्याय परमेश्वरएके परिवारसे सुरु होनके समय आओ हए, और अगर जा हमैसे सुरु भवहए तव परमेश्वरको सुसमाचार ना मानन बारेनको अन्त कैसो हुइहए? \v 18 18 और, “अगर धर्मी जनको उध्दार कठिनसे होतहए कहेसे अधर्मी और पापीकी गति का हुइहए?” \v 19 19 जहेमारे परमेश्वरको इच्छाअनुसार दु:ख भोगनबारे भलाइ करँए और बे अपन आत्मा विश्वासयोग्य सृष्टिकर्ता के सौँपएं|
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\v 17 काहेकी न्याय परमेश्वरएके परिवारसे सुरु होनके समय आओ हए, और अगर जा हमैसे सुरु भवहए तव परमेश्वरको सुसमाचार ना मानन बारेनको अन्त कैसो हुइहए? \v 18 और, “अगर धर्मी जनको उध्दार कठिनसे होतहए कहेसे अधर्मी और पापीकी गति का हुइहए?” \v 19 जहेमारे परमेश्वरको इच्छाअनुसार दु:ख भोगनबारे भलाइ करँए और बे अपन आत्मा विश्वासयोग्य सृष्टिकर्ता के सौँपएं|
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"04-03",
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"04-07",
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