diff --git a/04/12.txt b/04/12.txt index 279515d..49a142c 100644 --- a/04/12.txt +++ b/04/12.txt @@ -1 +1 @@ -\v 12 प्रिय हो, तुमके जाँच करनबारो अग्निसमान परिक्षा तुमरे उपर आत कोइ अचम्मि बात कता तुम छक्क मतपणओ | \v 13 पर ख्रीष्टके कष्ट-भोगमे सहभागी होत रमाओ, ताकि बाको महिमा प्रकट होत तुम फिर आनन्दित और खुशी होन सिकओ | \v 14 अगर ख्रीष्टके नाउँमे तुम निन्दित हुइहौ कहेसे तुम धन्यके हौ | काहेकी महिमाको और परमेश्वरको आत्मा तुमरे उपर रहात हए | \ No newline at end of file +\v 12 प्रिय हो, तुमके जाँच करनबारो अग्निसमान परिक्षा तुमरे उपर आत कोइ अचम्मि बात कता तुम छक्क मतपणओ | \v 13 पर ख्रीष्टके कष्ट-भोगमे सहभागी होत रमाओ, ताकि बाको महिमा प्रकट होत तुम फिर आनन्दित और खुशी होन सिकओ | \v 14 अगर ख्रीष्टके नाउँमे तुम निन्दित हुइहौ कहेसे तुम धन्यके हौ | काहेकी महिमाको और परमेश्वरको आत्मा तुमरे उपर रहात हए | \ No newline at end of file diff --git a/04/15.txt b/04/15.txt index 7aa2f00..84ee361 100644 --- a/04/15.txt +++ b/04/15.txt @@ -1 +1 @@ -\v 15 15 पर तुम मैसे कोइ फिर हत्यारा,अथवा चोर,अथवा खराबी करनबारे, अथवा दुसरेके काममे हात डारनबारे कता दु:ख मतभोगओ| \v 16 16 पर कोइ ख्रीष्टियान होनके कारण दु:ख भोगत् हए कहेसे बा शरम ना मानए, पर बहे नाउँमे बा परमेश्वरके महिमा देबए| \ No newline at end of file +\v 15 पर तुम मैसे कोइ फिर हत्यारा,अथवा चोर,अथवा खराबी करनबारे, अथवा दुसरेके काममे हात डारनबारे कता दु:ख मतभोगओ | \v 16 पर कोइ ख्रीष्टियान होनके कारण दु:ख भोगत् हए कहेसे बा शरम ना मानए, पर बहे नाउँमे बा परमेश्वरके महिमा देबए | \ No newline at end of file diff --git a/04/17.txt b/04/17.txt index b58cdba..07390be 100644 --- a/04/17.txt +++ b/04/17.txt @@ -1 +1 @@ -\v 17 17 काहेकी न्याय परमेश्वरएके परिवारसे सुरु होनके समय आओ हए, और अगर जा हमैसे सुरु भवहए तव परमेश्वरको सुसमाचार ना मानन बारेनको अन्त कैसो हुइहए? \v 18 18 और, “अगर धर्मी जनको उध्दार कठिनसे होतहए कहेसे अधर्मी और पापीकी गति का हुइहए?” \v 19 19 जहेमारे परमेश्वरको इच्छाअनुसार दु:ख भोगनबारे भलाइ करँए और बे अपन आत्मा विश्वासयोग्य सृष्टिकर्ता के सौँपएं| \ No newline at end of file +\v 17 काहेकी न्याय परमेश्वरएके परिवारसे सुरु होनके समय आओ हए, और अगर जा हमैसे सुरु भवहए तव परमेश्वरको सुसमाचार ना मानन बारेनको अन्त कैसो हुइहए? \v 18 और, “अगर धर्मी जनको उध्दार कठिनसे होतहए कहेसे अधर्मी और पापीकी गति का हुइहए?” \v 19 जहेमारे परमेश्वरको इच्छाअनुसार दु:ख भोगनबारे भलाइ करँए और बे अपन आत्मा विश्वासयोग्य सृष्टिकर्ता के सौँपएं| \ No newline at end of file diff --git a/manifest.json b/manifest.json index 4fd8a94..3c83078 100644 --- a/manifest.json +++ b/manifest.json @@ -76,6 +76,8 @@ "04-03", "04-07", "04-10", + "04-12", + "04-15", "05-title" ] } \ No newline at end of file