thr_1co_text_reg/11/20.txt

1 line
909 B
Plaintext

\v 20 \v 21 \v 22 20 जब तुम एकसंग भेला भए खानपिन करत हौ बो चाहिँ प्रभु-भोज नैयाँ| 21 काहेकी खान बैठत हरेक अपनो भोजन खात हए, और कोइ भुखो रहत हए, तव कोइचाहिँ मद्धसे मातो होतहए| 22 का खान और पिनके ताहिँ तुमर अ- अपन घर नैयाँ का? अथवा का तुम परमेश्वरको मण्डलीके तुच्छ ठाहरत हौ और कछु नाए होनबारोके अपमान करत हौ? मए तुमसे का कहौ? का जाके ताहिँ मए तुमर तारिफ* करौ? मए कदापि नाए करहौ