1 line
767 B
Plaintext
1 line
767 B
Plaintext
\v 42 मरनके पुनरुत्थान फिर अइसी हए । जौन शरीर विनाशमे गणत हए । बो विनाशीमे जिन्दा होत हए । \v 43 अनादरमे बो गणत हए, महीमामे बो जिन्दा होत हए । दुर्बलतामे बो गणत हए,शक्तिमे बो जिन्दा होतहए । \v 44 प्राकृतिक शरीरमे बो गणत हए, आत्मिक शरीरमे बो जिन्दा होतहए । प्राकृतिक शरीर हए कहेसे आत्मिक शरीर फिर अवश्यक हए । |